2025 आषाढ़ी किस दिन है? व्रत विधि, कथा, महत्व और संपूर्ण जानकारी

2025 आषाढ़ी किस दिन है? व्रत विधि, कथा, महत्व और संपूर्ण जानकारी

🔷 भूमिका

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का अत्यंत महत्व है, विशेष रूप से आषाढ़ मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को “आषाढ़ी एकादशी” या “देवशयनी एकादशी” कहा जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे चातुर्मास की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन से भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार महीनों तक शयन करते हैं।


🗓️ 2025 आषाढ़ी एकादशी में कब है?

  • तिथि: बुधवार, 9 जुलाई 2025

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 8 जुलाई 2025, रात 10:14 बजे

  • एकादशी तिथि समाप्त: 9 जुलाई 2025, रात 7:56 बजे

  • पारण का समय (व्रत खोलने का समय): 10 जुलाई को सुबह 6:00 बजे से 8:25 बजे तक


🕉️ 2025 आषाढ़ी एकादशी का धार्मिक महत्व

  1. यह एकादशी भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का सबसे उत्तम अवसर मानी जाती है।

  2. इस दिन से चातुर्मास (चार पवित्र महीनों का काल) शुरू होता है – जिसमें भगवान विष्णु शयन करते हैं।

  3. यह एकादशी मोक्ष और पुण्य प्रदान करने वाली मानी जाती है।

  4. पवित्र नदियों में स्नान और व्रत करने से पापों का नाश होता है।


📖 2025 आषाढ़ी एकादशी व्रत कथा (देवशयनी एकादशी कथा)

प्राचीन समय में माहिष्मती नगरी में मान्धाता नामक एक राजा राज्य करते थे। उनके राज्य में एक बार भयंकर अकाल पड़ा। राजा ने अनेक यज्ञ, दान, पूजा आदि किए परंतु कुछ भी लाभ नहीं हुआ। अंततः वे ऋषि अंगिरा के पास पहुँचे।

ऋषि अंगिरा ने उन्हें आषाढ़ शुक्ल एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। राजा ने पूरे विधिपूर्वक व्रत किया और इसके फलस्वरूप उनके राज्य में पुनः वर्षा हुई और प्रजा सुखी हुई। तब से यह व्रत अत्यंत फलदायक माना जाता है।


2025 आषाढ़ी एकादशी

🙏 व्रत विधि (कैसे करें 2025 आषाढ़ी एकादशी का व्रत)

1. व्रत की पूर्व संध्या (दशमी)

  • सात्विक भोजन करें और मन को शांत रखें।

  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।

2. एकादशी के दिन

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  • घर में भगवान विष्णु की प्रतिमा/फोटो को स्थापित करें।

  • धूप-दीप से पूजा करें।

  • तुलसी दल, फूल, पंचामृत, फल आदि से अर्पण करें।

  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

  • दिनभर निराहार रहकर उपवास करें (यदि संभव हो)।

  • विष्णु सहस्त्रनाम, गीता पाठ, और एकादशी व्रत कथा का श्रवण करें।

3. द्वादशी (पारण का दिन)

  • सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।

  • पहले ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराएँ, फिर स्वयं भोजन ग्रहण करें।


🌺 पूजा सामग्री की सूची

  • तुलसी दल

  • पीले फूल

  • घी का दीपक

  • फल, पंचामृत

  • नारियल

  • चंदन, रोली

  • दूध, दही, शहद, गंगाजल

  • पीला वस्त्र


🌼 आषाढ़ी एकादशी के नियम

पालन करने योग्य नियम विवरण
अन्न का त्याग इस दिन चावल नहीं खाए जाते
ब्रह्मचर्य मानसिक और शारीरिक पवित्रता बनाए रखें
झूठ, क्रोध, और छल से बचें मन को शुद्ध रखने का प्रयास करें
ध्यान और भजन भगवान विष्णु के नाम का कीर्तन करें

🛕 आषाढ़ी एकादशी और पंढरपुर यात्रा (महाराष्ट्र)

महाराष्ट्र में यह एकादशी “पंढरपुर वारी यात्रा” के रूप में प्रसिद्ध है। लाखों श्रद्धालु पैदल चलकर भगवान विठोबा (विठ्ठल) के दर्शन के लिए पंढरपुर (सोलापुर) जाते हैं। यह यात्रा लगभग 250 किमी तक की होती है और इसकी तैयारी महीनों पहले शुरू हो जाती है।

विठोबा को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। भक्त ‘तुकाराम’, ‘ज्ञानेश्वर’, ‘नामदेव’ जैसे संतों की भक्ति भाव से यात्रा करते हैं।


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🧘‍♀️ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से एकादशी

  • एकादशी उपवास से शरीर का डिटॉक्स होता है।

  • मानसिक शांति और ध्यान में वृद्धि होती है।

  • पाचन तंत्र को आराम मिलता है।

  • उपवास से आत्म-अनुशासन का विकास होता है।


📿 क्या करें और क्या न करें

करना चाहिए नहीं करना चाहिए
व्रत, ध्यान, मंत्र जाप चावल और तामसिक भोजन
दान-पुण्य, सेवा झूठ, धोखा या हिंसा
तुलसी पूजा तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है
स्वच्छता बाल काटना, दाढ़ी बनवाना मना है

✍️ विशेष सुझाव

  • छोटे बच्चों, बुजुर्गों या बीमार व्यक्ति को फलाहार के साथ व्रत करने की सलाह दी जाती है।

  • महिलाएं व्रत के दौरान तुलसी और भगवान विष्णु की आरती कर सकती हैं।

  • यदि आप पूर्ण उपवास न कर सकें तो फल, दूध, साबूदाना खिचड़ी आदि का सेवन करें।


📜 अन्य नाम

  • देवशयनी एकादशी

  • हरिशयनी एकादशी

  • पद्मा एकादशी

  • विष्णु शयन एकादशी

  • तिरुपति एकादशी (दक्षिण भारत)


📚 भविष्य में पड़ने वाली एकादशियाँ (2025 आषाढ़ी)

एकादशी तिथि
कामदा एकादशी 9 अप्रैल 2025
निर्जला एकादशी 2 जून 2025
आषाढ़ी एकादशी 9 जुलाई 2025
श्रावण पुत्रदा एकादशी 6 अगस्त 2025

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💠 निष्कर्ष

2025 आषाढ़ी एकादशी सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत है। यह चार पवित्र महीनों की आरंभ तिथि है, जो भक्ति, संयम और साधना से जुड़ी होती है। यदि यह व्रत श्रद्धा और नियमपूर्वक किया जाए तो न केवल पुण्य प्राप्त होता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी आता है।


📢 अंतिम बात

आप 2025 आषाढ़ी को पूरे श्रद्धा भाव से मनाएं और अपने जीवन को पवित्र बनाएं। अगर आप इस दिन कोई विशेष पूजा, कथा या आयोजन करते हैं, तो उसे औरों से भी साझा करें।


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https://en.wikipedia.org/wiki/Ashadha

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