घर में सीलन क्यों होती है? जानिए 10 मुख्य कारण और समाधान

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Table of Contents

1. घर में सीलन क्यों होती है?

सीलन एक आम घरेलू समस्या है, जो न केवल दीवारों की सुंदरता को खराब करती है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकती है। सीलन की समस्या खासकर बरसात के मौसम में या उन घरों में ज्यादा देखने को मिलती है जहां वेंटिलेशन की कमी होती है।

1. नमी का जमाव:

सबसे प्रमुख कारण दीवारों या फर्श में नमी का जम जाना होता है। जब बाहर की हवा में अधिक आर्द्रता होती है, तो वह घर की दीवारों में समा जाती है और अंदर से सीलन का रूप ले लेती है।

2. पानी का रिसाव:

पाइपलाइन में लीकेज, छत से पानी का टपकना या छत की सही से मरम्मत न होना, ये सब पानी के रिसाव के प्रमुख कारण होते हैं। धीरे-धीरे यह रिसाव सीलन में बदल जाता है।

3. बिना वॉटरप्रूफिंग निर्माण:

अगर घर बनाते समय उचित वॉटरप्रूफिंग नहीं की गई हो, तो जमीन की नमी या बारिश का पानी सीधे दीवारों और फर्श में समा सकता है, जिससे सीलन हो जाती है।

4. कम वेंटिलेशन:

अगर घर में खिड़कियाँ और दरवाज़े पर्याप्त नहीं हैं या हवा का आवागमन ठीक नहीं है, तो अंदर की नमी बाहर नहीं निकल पाती और दीवारों में सीलन बन जाती है।

5. नीचे स्तर पर बना घर:

अगर घर का निर्माण जमीन के बहुत पास या गड्ढे वाले क्षेत्र में किया गया हो, तो मिट्टी की नमी सीधे घर में चढ़ती है, जिससे सीलन की समस्या होती है।

2. क्या सीलन से स्वास्थ्य पर असर पड़ता है?

जी हाँ, सीलन का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। बहुत से लोग इसे केवल दीवारों की समस्या मानते हैं, लेकिन यह हमारे शरीर और दिमाग दोनों पर बुरा प्रभाव डाल सकती है। सीलन की वजह से घर के अंदर की हवा नमी से भर जाती है, जिससे कई प्रकार की बीमारियाँ जन्म लेती हैं।

1. फेफड़ों की बीमारियाँ:

सीलन वाले स्थानों पर फफूंदी (fungus) और बैक्टीरिया जल्दी पनपते हैं। इनसे निकलने वाले सूक्ष्म कण जब सांस के साथ शरीर में जाते हैं, तो अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं। बच्चों और बुजुर्गों को इसका असर जल्दी होता है।

2. एलर्जी की समस्या:

नमी और फंगस के कारण घर की हवा दूषित हो जाती है, जिससे छींक आना, आंखों में जलन, त्वचा पर खुजली और नाक बहना जैसी एलर्जी बढ़ जाती है।

3. सिरदर्द और थकान:

लगातार सीलन भरे माहौल में रहने से दिमाग पर असर पड़ता है। इससे सिरदर्द, चक्कर आना और हर समय थकावट महसूस होना आम बात हो जाती है।

4. मानसिक तनाव:

सीलन भरे माहौल में गंध और गंदगी के कारण मानसिक बेचैनी और तनाव भी बढ़ सकता है। घर का वातावरण उदास और बोझिल लगने लगता है।

5. त्वचा रोग:

सीलन के कारण त्वचा में फंगल इंफेक्शन, खुजली, दाने और लाल चकत्ते जैसे स्किन प्रॉब्लम्स भी हो सकते हैं।

3. सवाल: दीवारों में सीलन कैसे पहचानें?

दीवारों में सीलन धीरे-धीरे पनपती है, लेकिन समय रहते इसकी पहचान कर ली जाए तो बड़ी परेशानियों से बचा जा सकता है। सीलन को पहचानने के कई साफ संकेत होते हैं जिन्हें हम रोजमर्रा की ज़िंदगी में नजरअंदाज कर देते हैं। आइए जानें कि दीवारों में सीलन की पहचान कैसे करें।

1. दीवार पर धब्बे और रंग बदलना:

अगर दीवारों पर भूरे, हरे या काले रंग के धब्बे दिखाई देने लगें, तो यह सीलन का पहला संकेत हो सकता है। यह फफूंदी के कारण होता है, जो नमी में पनपती है।

2. पेंट या पलस्तर का उखड़ना:

अगर दीवार का पेंट फटने लगे, बुलबुले पड़ने लगें या पलस्तर झड़ने लगे, तो समझिए कि दीवार के अंदर नमी है। यह सीलन का साफ संकेत होता है।

3. सीलन की बदबू:

एक अजीब सी गंध जो कपड़ों, बिस्तरों या कमरे में फैली रहती है, वह अक्सर सीलन के कारण होती है। यह गंध फफूंदी और बैक्टीरिया के कारण आती है।

4. दीवारें ठंडी महसूस होना:

सीलन वाली दीवारें सामान्य से अधिक ठंडी महसूस होती हैं, खासकर अगर उन्हें छूने पर नमी जैसी लगे।

5. लकड़ी और फर्नीचर पर असर:

अगर लकड़ी के सामान या अलमारी के पीछे नमी महसूस हो या फर्नीचर फूलने लगे, तो ये भी दीवारों में सीलन का संकेत है।

6. बिजली के स्विच बोर्ड में रुकावट:

कभी-कभी स्विच बोर्ड में सीलन के कारण करंट की समस्या या खराबी आ जाती है।

घर में सीलन क्यों होती है?
घर में सीलन क्यों होती है?

4. सवाल: सीलन हटाने के लिए घरेलू उपाय क्या हैं?

घर की दीवारों में सीलन आना आम समस्या है, खासकर बरसात या नमी वाले मौसम में। अगर आप पेंट दोबारा करवाने या बड़ी मरम्मत से बचना चाहते हैं, तो कुछ आसान और असरदार घरेलू उपाय अपनाकर सीलन से राहत पा सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ घरेलू नुस्खे:

1. सिरका (विनेगर) का उपयोग:

सफेद सिरका एंटी-बैक्टीरियल होता है और फंगस या फफूंदी को मारने में मदद करता है। एक स्प्रे बोतल में सिरका भरकर सीलन वाली जगह पर छिड़कें और 30 मिनट बाद कपड़े से साफ करें।

2. बेकिंग सोडा:

बेकिंग सोडा नमी को सोखने में काफी असरदार है। इसे सीधे दीवार पर छिड़कें या पानी में घोलकर स्प्रे करें। यह बदबू भी खत्म करता है।

3. नींबू और नमक:

नींबू का रस और नमक मिलाकर पेस्ट बनाएं और सीलन वाली जगह पर लगाएं। कुछ घंटे बाद साफ कर दें। यह दीवार को साफ भी करता है और नमी को हटाता है।

4. कोयला या सिलिका जेल पैकेट:

कोयला या सिलिका जेल अत्यधिक नमी को सोखने में सक्षम होते हैं। इन्हें अलमारी, कमरे के कोनों या सीलन वाली जगहों पर रखें।

5. कपूर (कैंपफर):

कपूर भी नमी और बदबू को दूर करता है। इसे कमरे में एक कटोरी में रख दें। यह प्राकृतिक नमी शोषक है।

6. धूप और वेंटिलेशन:

कमरे में सूर्य की रोशनी आने दें और वेंटिलेशन का खास ध्यान रखें। नमी से बचने के लिए पंखा चलाना भी मददगार होता है।

5. सवाल: पेंट करने से पहले सीलन कैसे हटाएं?

घर की दीवारों में सीलन होने पर अगर सीधे पेंट कर दिया जाए तो कुछ ही समय में रंग उखड़ने लगता है और दीवार पर फफूंदी या धब्बे दिखने लगते हैं। इसलिए पेंट करने से पहले सीलन को पूरी तरह से हटाना बेहद ज़रूरी है। नीचे दिए गए स्टेप्स को अपनाकर आप दीवार को पेंट के लिए तैयार कर सकते हैं:

1. सीलन की जड़ पहचानें:

सबसे पहले यह जानें कि सीलन की वजह क्या है – छत से पानी रिसना, पाइप लीक होना, ज़मीन से नमी चढ़ना या वेंटिलेशन की कमी। जब तक कारण नहीं हटेगा, समाधान स्थायी नहीं होगा।

2. दीवार को पूरी तरह सुखाएं:

सीलन वाले हिस्से को स्क्रैपर से खुरचकर पहले साफ करें और फिर उसे पूरी तरह सूखने दें। इसके लिए हीटर, ड्रायर या प्राकृतिक धूप का इस्तेमाल किया जा सकता है।

3. एंटी-फंगल ट्रीटमेंट दें:

सीलन हटाने के बाद उस जगह पर एंटी-फंगल या एंटी-मॉइस्ट ट्रीटमेंट करें। बाजार में मिलने वाले एंटी-फंगल सॉल्यूशन दीवार पर लगाएं ताकि फफूंदी दोबारा न उभरे।

4. वॉटरप्रूफ प्राइमर लगाएं:

पेंट करने से पहले वॉटरप्रूफ प्राइमर या सीलर का इस्तेमाल करें। यह दीवार पर नमी को रोकने में मदद करता है और पेंट को टिकाऊ बनाता है।

5. अच्छी क्वालिटी का पेंट चुनें:

सीलन से निपटने के बाद वॉटर-रेसिस्टेंट और एंटी-फंगल गुणों वाला पेंट चुनें जिससे भविष्य में दीवार खराब न हो।

6. सवाल: क्या कमरे में डिह्यूमिडिफायर लगाने से सीलन कम होती है?

हाँ, कमरे में डिह्यूमिडिफायर (Dehumidifier) लगाने से सीलन कम करने में काफी मदद मिलती है। डिह्यूमिडिफायर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है जो कमरे की हवा में मौजूद अतिरिक्त नमी (humidity) को सोख लेता है और हवा को सूखा बनाता है। अधिकतर घरों में सीलन की वजह होती है — हवा में मौजूद अत्यधिक नमी, जिससे दीवारें गीली हो जाती हैं और फफूंदी (fungus), काई (moss) या बदबू फैलने लगती है।

डिह्यूमिडिफायर कैसे करता है काम?

डिह्यूमिडिफायर में एक फैन होता है जो कमरे की हवा को अंदर खींचता है और उसमें मौजूद नमी को एक कंटेनर में इकट्ठा कर देता है। फिर वह सूखी हवा को कमरे में वापस छोड़ता है। इससे कमरे की नमी का स्तर सामान्य (40%-60%) पर बना रहता है।

डिह्यूमिडिफायर के लाभ:

  1. सीलन में कमी: दीवारों और छतों की नमी घटती है जिससे सीलन धीरे-धीरे कम हो जाती है।

  2. फफूंदी और बैक्टीरिया से बचाव: कम नमी होने से फंगस और बैक्टीरिया पनप नहीं पाते।

  3. स्वास्थ्य के लिए अच्छा: सांस लेने में दिक्कत, एलर्जी और अस्थमा जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।

  4. फर्नीचर की सुरक्षा: लकड़ी के फर्नीचर या इलेक्ट्रॉनिक सामान सीलन से खराब नहीं होते।

कब और कहाँ इस्तेमाल करें?

  • बाथरूम, बेसमेंट, स्टोर रूम या ऐसी जगहें जहाँ वेंटिलेशन कम हो।

  • मानसून या बरसात के मौसम में।

7. सवाल: बाथरूम और किचन में सीलन कैसे रोके?

बाथरूम और किचन घर के वो हिस्से होते हैं जहाँ सबसे ज़्यादा नमी (Humidity) और पानी का उपयोग होता है। इसलिए इन जगहों पर सीलन (Dampness) होना आम बात है। यदि समय रहते रोकथाम न की जाए, तो यह सीलन दीवारों, टाइल्स और यहां तक कि छत तक को नुकसान पहुंचा सकती है। नीचे कुछ प्रभावी उपाय दिए गए हैं जिनसे बाथरूम और किचन में सीलन को रोका जा सकता है।


1. सही वेंटिलेशन (हवा की निकासी) रखें:

  • बाथरूम और किचन में एक्जॉस्ट फैन जरूर लगवाएं।

  • खिड़कियाँ खुली रखें ताकि ताज़ी हवा आ-जा सके।

  • बाथरूम का दरवाज़ा खुला रखें जब उपयोग में न हो।


2. लीकेज और पाइप की जाँच करें:

  • समय-समय पर नल, शॉवर, सिंक और पाइपलाइन की जांच करें।

  • टपकते नल और पाइपों को तुरंत ठीक करवाएं।


3. वाटरप्रूफ पेंट और सीलेंट का उपयोग करें:

  • दीवारों और फर्श पर वॉटरप्रूफ पेंट या कोटिंग करवाएं।

  • टाइल्स और कोनों में सिलिकॉन सीलेंट का प्रयोग करें जिससे पानी रिसकर अंदर न जाए।


4. फर्श को सूखा रखें:

  • बाथरूम और किचन में पानी फैलने पर तुरंत पोछा लगाएं।

  • मैट्स या रबर मेट का इस्तेमाल करें जिससे पानी फर्श में न समाए।


5. डिह्यूमिडिफायर या चारकोल पाउच का प्रयोग:

  • छोटे बाथरूम या किचन में चारकोल पाउच या डिह्यूमिडिफायर से नमी को नियंत्रित किया जा सकता है।

8. सवाल: क्या सीलन के लिए प्लास्टर में बदलाव करना जरूरी है?

सीलन (Dampness) घर की दीवारों की सबसे आम और परेशान करने वाली समस्या है। जब दीवारों पर लगातार नमी बनी रहती है, तो यह धीरे-धीरे प्लास्टर को नुकसान पहुंचाती है। ऐसे में अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या सीलन को हटाने के लिए प्लास्टर बदलना ज़रूरी होता है? आइए विस्तार से समझते हैं।


1. सीलन की गंभीरता पर निर्भर करता है:

  • अगर सीलन सतही (Surface Level) है, तो प्लास्टर हटाने की जरूरत नहीं होती। सिर्फ दीवार को सुखाकर, सीलेंट और वॉटरप्रूफ पेंट लगाने से काम चल सकता है।

  • लेकिन अगर सीलन भीतर तक घुस चुकी है और प्लास्टर झड़ने लगा है, तो यह संकेत है कि उसे हटाकर दोबारा करना ज़रूरी है।


2. पुराने प्लास्टर में फफूंदी और नमी रह जाती है:

  • यदि आप सीलन की जड़ (source) ठीक कर भी लें, फिर भी पुराना प्लास्टर अक्सर नमी सोख लेता है और फफूंदी (fungus) बना लेता है।

  • ऐसे में उस प्लास्टर को हटाकर नया वॉटर-रेजिस्टेंट प्लास्टर लगाना ही बेहतर होता है।


3. नया प्लास्टर वॉटरप्रूफ होना चाहिए:

  • आजकल बाजार में डैम्प-प्रूफ प्लास्टर, वाटरप्रूफिंग कंपाउंड मिलते हैं, जो नमी को दीवार में घुसने से रोकते हैं।

  • प्लास्टर के बाद एंटी-डैम्प पेंट और सीलेंट का प्रयोग करें।

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9. सवाल: सीलन से फर्नीचर कैसे बचाएं?

घर की दीवारों या फर्श में सीलन हो तो इसका असर सिर्फ दीवारों पर नहीं, बल्कि लकड़ी के फर्नीचर (Wooden Furniture) पर भी पड़ता है। लकड़ी नमी सोखती है जिससे फर्नीचर फूल जाता है, पेंट उखड़ने लगता है, बदबू आती है और दीमक भी लग सकती है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि सीलन से फर्नीचर को कैसे बचाया जाए।


1. फर्नीचर को दीवार से दूर रखें:

सीलन अक्सर दीवारों के किनारों में होती है, इसलिए कोशिश करें कि आपका फर्नीचर सीधे दीवार से सटा हुआ न हो। कम से कम 2-3 इंच की दूरी बनाकर रखें, ताकि हवा पास से गुजर सके और नमी कम हो।


2. डिह्यूमिडिफायर या सीलन सोखने वाले पदार्थ:

  • कमरे में डिह्यूमिडिफायर रखें जो वातावरण की नमी को सोखता है।

  • नेप्थलीन बॉल्स, सिलिका जेल पैकेट्स, या बेकिंग सोडा जैसे घरेलू उपाय भी अलमारियों व दराजों में रखने से फायदेमंद होते हैं।


3. फर्नीचर पर वॉटरप्रूफ पॉलिश या लैमिनेशन:

  • लकड़ी के फर्नीचर पर वॉटरप्रूफ पॉलिश करवाएं या लैमिनेट करवाएं ताकि नमी उसमें प्रवेश न कर सके।

  • नियमित रूप से साफ कपड़े से फर्नीचर को सुखाते रहें।


4. फर्नीचर को धूप लगाएं:

मौसम साफ हो तो फर्नीचर को कुछ घंटों के लिए धूप में रखना नमी को दूर करने का आसान तरीका है।


5. फर्श पर प्लास्टिक शीट या रबर पैड:

फर्नीचर के पैरों के नीचे प्लास्टिक शीट या रबर पैड रखें ताकि वह फर्श से नमी ना सोखे।

10. सवाल: सीलन को स्थायी रूप से कैसे ठीक करें?

सीलन एक बार घर में आ जाए तो यह धीरे-धीरे पूरे वातावरण और दीवारों को नुकसान पहुंचाने लगती है। इसलिए इसे केवल छुपाना नहीं, स्थायी रूप से ठीक करना जरूरी है, वरना यह बार-बार लौटकर आती है। नीचे कुछ प्रभावशाली तरीके दिए गए हैं जिनसे सीलन को जड़ से खत्म किया जा सकता है:


1. सीलन के स्रोत की पहचान करें:

स्थायी इलाज से पहले सबसे जरूरी है यह जानना कि सीलन कहां से आ रही है—

  • क्या पानी की पाइप लीकेज हो रही है?

  • क्या छत से पानी रिस रहा है?

  • क्या दीवारों में क्रैक हैं?
    इन कारणों की पहचान करना पहली जरूरी प्रक्रिया है।


2. वॉटरप्रूफिंग तकनीक का उपयोग करें:

  • छत, दीवार या बाथरूम में वॉटरप्रूफिंग कोटिंग करवाएं।

  • सीमेंट आधारित सीलेंट या ऐक्रेलिक सीलेंट का उपयोग सीलन वाले हिस्सों पर करें।

  • ज़रूरत हो तो डैम्पप्रूफ कोर्स (DPC) करवाएं जो नमी को नींव से ऊपर नहीं आने देता।


3. लीकेज या क्रैक की मरम्मत:

  • पानी की पाइप लाइन में लीकेज हो तो उसे तुरंत बदलवाएं या ठीक करवाएं।

  • दीवारों में दरारें हैं तो प्लास्टर और सीमेंट से भरवाएं।


4. सही वेंटिलेशन और सनलाइट:

  • कमरों में हवा और धूप का पूरा प्रबंध करें ताकि सीलन जमने का मौका न मिले।

  • Exhaust fan का प्रयोग बाथरूम व किचन में ज़रूर करें।


5. पेंटिंग से पहले ऐंटी-फंगल कोटिंग:

  • पेंट कराने से पहले दीवारों पर एंटी-फंगल प्राइमर जरूर लगवाएं जिससे सीलन की वापसी न हो।

निष्कर्ष:

सीलन से स्थायी निजात पाने के लिए केवल सतही उपचार नहीं, बल्कि मूल कारण को पहचानकर सही तकनीक अपनानी होती है। थोड़ी सी सावधानी और सही उपायों से आप अपने घर को सीलन से पूरी तरह सुरक्षित बना सकते हैं।

https://en.wikipedia.org/wiki/Damp_(structural)


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