बादी बवासीर को जड़ से कैसे खत्म करें: 1 संपूर्ण मार्गदर्शिका

बादी बवासीर को जड़ से कैसे खत्म करें: 1 संपूर्ण मार्गदर्शिका

बवासीर के कारण (Causes of Piles)

बवासीर के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से मुख्य हैं:

  1. कब्ज: लंबे समय तक कब्ज रहना और मल त्याग करते समय अत्यधिक जोर लगाना बवासीर का सबसे प्रमुख कारण है।
  2. कम फाइबर वाला आहार: फाइबर की कमी वाले आहार से मल सख्त हो जाता है, जिससे कब्ज की समस्या बढ़ती है।
  3. शारीरिक गतिविधि की कमी: गतिहीन जीवनशैली भी कब्ज और बवासीर को बढ़ावा दे सकती है।
  4. गर्भावस्था: गर्भावस्था के दौरान पेट पर दबाव बढ़ने से बवासीर हो सकती है।
  5. मोटापा: अधिक वजन होने से गुदा क्षेत्र पर दबाव बढ़ सकता है।
  6. लंबे समय तक बैठना: शौचालय पर या किसी भी स्थान पर लंबे समय तक बैठे रहना भी एक कारण हो सकता है।
  7. उम्र: बढ़ती उम्र के साथ नसें कमजोर हो सकती हैं।
  8. वंशानुगत: कुछ लोगों में यह समस्या आनुवंशिक भी हो सकती है।

बवासीर को जड़ से खत्म करने के उपाय (Ways to Eliminate Piles from the Root)

बवासीर को जड़ से खत्म करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना ज़रूरी है, जिसमें जीवनशैली में बदलाव, आहार संशोधन, घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार, और आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सा हस्तक्षेप शामिल हैं।

1. जीवनशैली और आहार में बदलाव (Lifestyle and Dietary Changes)

यह बवासीर के प्रबंधन और रोकथाम का आधार है।

  1. उच्च फाइबर युक्त आहार: अपने आहार में फाइबर की मात्रा बढ़ाना सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक है। फाइबर मल को नरम करता है और उसे आसानी से बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे मल त्याग के दौरान जोर लगाने की आवश्यकता कम हो जाती है।
    • फल: पपीता, सेब, केला, नाशपाती (छिलके सहित), संतरे, तरबूज, अमरूद, अंजीर।
    • सब्जियां: पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, मेथी, शलजम, गाजर, भिंडी, लौकी, तोरई, करेला, सूरन।
    • साबुत अनाज: ओट्स, दलिया, ब्राउन राइस, मल्टीग्रेन ब्रेड, गेहूं।
    • दालें: मूंग दाल, मसूर दाल, चना।
    • नट्स और बीज: अलसी, सूरजमुखी के बीज, अखरोट।
    • बचें: मसालेदार और तला-भुना खाना, फास्ट फूड, रेड मीट, प्रोसेस्ड मीट, जंक फूड, अधिक चीनी, मैदा और रिफाइंड फूड, शराब, सिगरेट।
  2. पर्याप्त पानी का सेवन: दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं। पर्याप्त तरल पदार्थ मल को नरम रखने में मदद करते हैं। पानी के अलावा, नारियल पानी, छाछ और हर्बल चाय भी फायदेमंद हैं।
  3. नियमित व्यायाम: हर दिन कम से कम 30 मिनट टहलें या हल्का व्यायाम करें। शारीरिक गतिविधि पाचन तंत्र को सक्रिय रखती है और कब्ज को रोकती है।
  4. शौच की आदतें:
    • जब भी मल त्यागने की इच्छा हो, उसे रोकें नहीं।
    • मल त्याग करते समय अत्यधिक जोर न लगाएं।
    • शौचालय में बहुत लंबे समय तक न बैठें।
  5. वजन नियंत्रण: स्वस्थ वजन बनाए रखें, क्योंकि मोटापा गुदा क्षेत्र पर दबाव बढ़ा सकता है।
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बवासीर को जड़ से मिटाने के 10 उपाय: क्या करें और क्या न करें?
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2. घरेलू उपचार (Home Remedies)

दर्द और सूजन से तुरंत राहत के लिए कुछ प्रभावी घरेलू उपाय:

  • सिट्ज़ बाथ (Sitz Bath): गर्म पानी में बैठना बवासीर के दर्द, खुजली और सूजन को कम करने में बहुत प्रभावी है। एक टब में कुछ इंच गुनगुना पानी डालें (इतना गर्म न हो कि जलन हो) और उसमें 15-20 मिनट तक बैठें। इसे दिन में 2-3 बार, खासकर शौच के बाद, दोहराएं।
  • आइस पैक (Ice Pack): सूजन और दर्द को कम करने के लिए प्रभावित क्षेत्र पर 15 मिनट के लिए आइस पैक या कोल्ड कंप्रेस लगाएं। इसे सीधे त्वचा पर न लगाएं, कपड़े में लपेटकर इस्तेमाल करें।
  • नारियल तेल (Coconut Oil): नारियल तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण होते हैं। इसे मस्सों पर लगाने से दर्द और सूजन कम हो सकती है।
  • एलोवेरा (Aloe Vera): एलोवेरा में सूजन-रोधी गुण होते हैं। ताजे एलोवेरा के गूदे को सीधे मस्सों पर लगाने से जलन और खुजली से राहत मिल सकती है। एलोवेरा जूस का सेवन कब्ज को रोकने में भी मदद कर सकता है।
  • सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar): सेब के सिरके को पानी में घोलकर पीने से या रुई में भिगोकर मस्सों पर लगाने से जलन और खुजली में राहत मिल सकती है।
  • नीम की पत्तियां (Neem Leaves): नीम में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण होते हैं। नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर उस ठंडे घोल से गुदा क्षेत्र को साफ किया जा सकता है।
  • तुलसी के पत्ते (Tulsi Leaves): तुलसी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ लेने से पाचन में सुधार हो सकता है और सूजन कम हो सकती है।
  • अंजीर (Figs): रात में 2-3 अंजीर भिगोकर रखें और सुबह खाली पेट खाएं और उसका पानी भी पिएं। यह कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है।
  • छाछ (Buttermilk): एक गिलास छाछ में एक चौथाई अजवायन पाउडर और एक चम्मच काला नमक मिलाकर दोपहर के खाने के साथ सेवन करें। यह बवासीर में बहुत फायदेमंद माना जाता है।

3. आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatments)

आयुर्वेद में बवासीर के लिए कई प्रभावी उपचार बताए गए हैं, जो समस्या को जड़ से खत्म करने में सहायक हो सकते हैं। हालांकि, किसी भी आयुर्वेदिक उपचार को शुरू करने से पहले योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।

  1. औषधीय जड़ी-बूटियाँ:
    • हरीतकी (Haritaki): यह एक रेचक (laxative) है जो कब्ज को दूर करने और मल त्याग को आसान बनाने में मदद करती है।
    • सूरन (Elephant Foot Yam): सूरन को बवासीर के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है। इसे सब्जी के रूप में या पाउडर के रूप में लिया जा सकता है। इसमें ऐसे गुण होते हैं जो मस्सों को सिकोड़ने में मदद करते हैं।
    • त्रिफला गुग्गुल (Triphala Guggul): यह एक आयुर्वेदिक मिश्रण है जो पाचन में सुधार करता है, सूजन कम करता है और दर्द से राहत देता है।
    • अर्शकल्प वटी (Arshkalp Vati): यह पतंजलि का एक आयुर्वेदिक उत्पाद है जो बवासीर के इलाज में उपयोग किया जाता है।
    • मंजिष्ठा (Manjistha): यह रक्त को शुद्ध करने और सूजन को कम करने में मदद करती है, खासकर खूनी बवासीर में।
  2. क्षार सूत्र (Kshara Sutra): यह एक पैरासर्जिकल आयुर्वेदिक प्रक्रिया है, जिसमें एक विशेष मेडिकेटेड धागे (क्षार सूत्र) का उपयोग बवासीर के मस्सों को बांधने के लिए किया जाता है। यह धागा धीरे-धीरे मस्से को सुखा देता है और उसे गिरा देता है। यह प्रक्रिया काफी प्रभावी मानी जाती है और इसके दोबारा होने की संभावना कम होती है।
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4. चिकित्सकीय हस्तक्षेप (Medical Interventions)

यदि घरेलू और आयुर्वेदिक उपायों से आराम नहीं मिलता है या बवासीर गंभीर अवस्था में है, तो डॉक्टर निम्नलिखित उपचारों की सलाह दे सकते हैं:

  1. दवाएं (Medications):
    • दर्द निवारक: दर्द कम करने के लिए।
    • कब्ज दूर करने वाली दवाएं (Laxatives/Stool Softeners): मल को नरम करने और आसानी से बाहर निकालने में मदद करने के लिए।
    • कॉर्टिकोस्टेरॉइड क्रीम/सपोसिटरी: सूजन, दर्द और खुजली को कम करने के लिए।
  2. गैर-सर्जिकल प्रक्रियाएं (Non-Surgical Procedures):
    • रबर बैंड लिगेशन (Rubber Band Ligation): यह आंतरिक बवासीर के लिए एक सामान्य प्रक्रिया है। इसमें मस्से के आधार पर एक छोटा रबर बैंड बांध दिया जाता है, जिससे उसकी रक्त आपूर्ति रुक जाती है और वह कुछ दिनों में सूखकर गिर जाता है।
    • स्क्लेरोथेरेपी (Sclerotherapy): इसमें मस्से में एक रसायन इंजेक्ट किया जाता है, जिससे वह सिकुड़ जाता है।
    • इन्फ्रारेड कोएगुलशन थेरेपी (Infrared Coagulation – IRC): इसमें मस्से को सुखाने के लिए इन्फ्रारेड प्रकाश का उपयोग किया जाता है।
  3. सर्जिकल प्रक्रियाएं (Surgical Procedures): गंभीर और बड़ी बवासीर के लिए सर्जरी एक स्थायी समाधान हो सकता है।
    • हेमरॉयडेक्टमी (Hemorrhoidectomy): यह एक पारंपरिक सर्जरी है जिसमें सर्जन मस्सों को काट कर हटा देते हैं। यह आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार की बवासीर के लिए प्रभावी है। इसमें रिकवरी का समय थोड़ा लंबा हो सकता है।
    • स्टेपलर हेमरॉयडेक्टमी (Stapler Hemorrhoidectomy): इस प्रक्रिया में एक विशेष स्टेपलर का उपयोग करके मस्सों को उनकी सामान्य स्थिति में वापस लाया जाता है और रक्त प्रवाह को कम किया जाता है। इसमें दर्द कम होता है और रिकवरी तेज होती है।
    • लेजर सर्जरी (Laser Surgery): यह बवासीर के इलाज के लिए एक आधुनिक और न्यूनतम इनवेसिव तरीका है। इसमें लेजर बीम का उपयोग करके मस्सों को जलाया या सिकोड़ा जाता है। यह कम दर्दनाक होती है, रिकवरी तेज होती है, और संक्रमण का जोखिम कम होता है। इसे बवासीर को जड़ से खत्म करने का सबसे सटीक उपाय माना जाता है।

बवासीर से बचाव और पुनरावृत्ति को रोकना (Prevention and Preventing Recurrence of Piles)

बवासीर को जड़ से खत्म करने के बाद भी उसे दोबारा होने से रोकना बहुत ज़रूरी है। इसके लिए आपको उन कारणों को दूर करना होगा जिनके कारण यह हुई थी:

  1. नियमित फाइबर और पानी: अपने आहार में पर्याप्त फाइबर और तरल पदार्थ का सेवन करते रहें।
  2. शौचालय की आदतें: मल त्याग करते समय जोर न लगाएं और लंबे समय तक शौचालय में न बैठें।
  3. नियमित शारीरिक गतिविधि: सक्रिय रहें और नियमित रूप से व्यायाम करें।
  4. स्वस्थ वजन: अपने वजन को नियंत्रित रखें।
  5. तनाव प्रबंधन: तनाव भी पाचन समस्याओं को प्रभावित कर सकता है, इसलिए तनाव कम करने के लिए योग, ध्यान या अन्य तकनीकें अपनाएं।
  6. शराब और कैफीन से बचें: ये कब्ज को बढ़ा सकते हैं और बवासीर को खराब कर सकते हैं।
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‘बादी’ का अर्थ और उसका बवासीर से संबंध

‘बादी’ एक ऐसा शब्द है जो अक्सर भारतीय उपमहाद्वीप में, विशेष रूप से आयुर्वेद और लोक चिकित्सा में, कुछ खास शारीरिक स्थितियों या खाद्य पदार्थों के संदर्भ में इस्तेमाल किया जाता है। इसका सीधा संबंध पेट की गैस, कब्ज, भारीपन और शरीर में वात (वायु) दोष के असंतुलन से होता है।

‘बादी’ का सामान्य अर्थ:

आम बोलचाल की भाषा में ‘बादी’ उन खाद्य पदार्थों या स्थितियों को संदर्भित करता है जो:

  1. गैस या पेट फूलने का कारण बनते हैं: जैसे चना, राजमा, छोले, कुछ दालें (जैसे उड़द दाल), पत्ता गोभी, आलू आदि। इन्हें खाने के बाद अक्सर पेट में गैस बनने या भारीपन महसूस होने की शिकायत होती है।
  2. कब्ज को बढ़ावा देते हैं: कई ‘बादी’ चीजें पाचन को धीमा कर सकती हैं या मल को सख्त कर सकती हैं, जिससे कब्ज की समस्या बढ़ जाती है।
  3. शरीर में भारीपन या दर्द का एहसास कराते हैं: ऐसा माना जाता है कि ‘बादी’ चीजें शरीर में वात (वायु) बढ़ाती हैं, जिससे जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में अकड़न या पूरे शरीर में भारीपन महसूस हो सकता है।

बवासीर और ‘बादी’ का संबंध:

बवासीर के संदर्भ में, ‘बादी’ शब्द का उपयोग अक्सर उन कारणों या खाद्य पदार्थों को इंगित करने के लिए किया जाता है जो बवासीर की समस्या को बढ़ा सकते हैं या उसे ट्रिगर कर सकते हैं।

  1. कब्ज को बढ़ावा: ‘बादी’ खाद्य पदार्थ, जैसे कि कुछ दालें (उड़द दाल), छोले, राजमा, या ज्यादा आलू, अक्सर कब्ज का कारण बनते हैं। कब्ज बवासीर का एक मुख्य कारण है, क्योंकि मल त्याग करते समय जोर लगाने से गुदा की नसें सूज जाती हैं।
  2. गैस और पेट का दबाव: ‘बादी’ चीजें पेट में गैस और सूजन पैदा कर सकती हैं। यह बढ़ा हुआ पेट का दबाव भी गुदा क्षेत्र की नसों पर दबाव डाल सकता है, जिससे बवासीर के लक्षण (दर्द, सूजन) बिगड़ सकते हैं।
  3. आयुर्वेदिक दृष्टिकोण: आयुर्वेद में, बवासीर को अक्सर वात दोष (जो वायु और गति से संबंधित है) और पित्त दोष (जो पाचन और चयापचय से संबंधित है) के असंतुलन से जोड़ा जाता है। ‘बादी’ खाद्य पदार्थ वात दोष को बढ़ा सकते हैं, जिससे कब्ज, सूखापन और दर्द बढ़ सकता है, जो बवासीर के लक्षणों को और बदतर बना सकता है।

इसलिए, जब कोई कहता है कि ‘बादी’ चीजें बवासीर के लिए खराब हैं, तो उनका मतलब उन खाद्य पदार्थों से होता है जो कब्ज और गैस पैदा करके बवासीर के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। बवासीर के मरीजों को अक्सर इन ‘बादी’ खाद्य पदार्थों से बचने की सलाह दी जाती है ताकि पाचन बेहतर रहे और मल त्याग आसान हो।


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निष्कर्ष (Conclusion)

बवासीर को जड़ से खत्म करना संभव है, लेकिन इसके लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। जीवनशैली में स्थायी बदलाव, विशेष रूप से आहार में फाइबर की वृद्धि और पर्याप्त पानी का सेवन, इसका आधार है। घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार दर्द और सूजन से राहत प्रदान कर सकते हैं और कुछ मामलों में समस्या को पूरी तरह से ठीक कर सकते हैं। यदि बवासीर गंभीर है या इन उपायों से आराम नहीं मिलता है, तो चिकित्सकीय हस्तक्षेप जैसे रबर बैंड लिगेशन या लेजर सर्जरी जैसे विकल्प उपलब्ध हैं जो प्रभावी और स्थायी समाधान प्रदान कर सकते हैं। हमेशा याद रखें, किसी भी उपचार को शुरू करने से पहले एक योग्य चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है। सही उपचार और जीवनशैली में बदलाव से आप बवासीर से पूरी तरह छुटकारा पा सकते हैं और इसे दोबारा होने से रोक सकते हैं।

https://en.wikipedia.org/wiki/Hemorrhoid

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