पुरानी बवासीर का रामबाण इलाज: 10 उपचार हमेशा के लिए खत्म करें दर्द और खुजली | Piles Treatment in Hindi
पुरानी बवासीर से छुटकारा पाना मुश्किल लग सकता है, लेकिन सही जानकारी और उचित उपचार से इसमें काफी राहत मिल सकती है। पुरानी बवासीर यानी क्रोनिक पाइल्स अक्सर लंबे समय से चले आ रहे कब्ज, अनियमित जीवनशैली, कम फाइबर वाले आहार और शौच के दौरान जोर लगाने के कारण होती है। इस स्थिति में गुदा (एनस) के अंदर या बाहरी हिस्से की नसें सूज जाती हैं, जिससे दर्द, खुजली और कई बार खून भी आता है। बवासीर का इलाज उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। प्रारंभिक अवस्था में जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार से लाभ मिल सकता है, जबकि गंभीर मामलों में चिकित्सकीय हस्तक्षेप या सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।
बवासीर के प्रकार
बवासीर मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है:
- अंदरूनी बवासीर (Internal Hemorrhoids): यह गुदा के अंदर होती है और आमतौर पर दर्द रहित होती है। इसमें मल त्याग के दौरान खून आ सकता है। कभी-कभी ये मस्से बाहर भी आ सकते हैं (प्रोलैप्स्ड पाइल्स)।
- बाहरी बवासीर (External Hemorrhoids): यह गुदा के बाहर होती है और अक्सर दर्द, खुजली और सूजन का कारण बनती है। इसमें खून का थक्का जमने पर दर्दनाक गांठ बन सकती है।
बवासीर को उसकी गंभीरता के आधार पर चार ग्रेड में बांटा गया है:
- ग्रेड 1: छोटे आकार के मस्से जो गुदा के अंदर होते हैं और दिखाई नहीं देते।
- ग्रेड 2: शौच करते समय बाहर आते हैं और अपने आप अंदर चले जाते हैं।
- ग्रेड 3: शौच करते समय बाहर आते हैं और उन्हें हाथ से अंदर धकेलना पड़ता है।
- ग्रेड 4: ये मस्से स्थायी रूप से बाहर रहते हैं और इन्हें अंदर नहीं धकेला जा सकता। यह सबसे गंभीर अवस्था होती है।
पुरानी बवासीर के कारण
पुरानी बवासीर के मुख्य कारणों में शामिल हैं:
- कब्ज और दस्त: लंबे समय तक कब्ज या दस्त रहने से गुदा क्षेत्र पर दबाव पड़ता है।
- शौच के दौरान जोर लगाना: मल त्याग करते समय अत्यधिक जोर लगाने से नसों पर दबाव बढ़ता है।
- कम फाइबर वाला आहार: फाइबर की कमी से मल सख्त हो जाता है, जिससे कब्ज होता है।
- पानी का कम सेवन: शरीर में पानी की कमी से मल सूख जाता है।
- लंबे समय तक बैठना: एक ही स्थिति में लंबे समय तक बैठने से गुदा क्षेत्र पर दबाव बढ़ सकता है।
- मोटापा: अधिक वजन होने से पेल्विक क्षेत्र पर दबाव बढ़ता है।
- गर्भावस्था: गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय का दबाव और हार्मोनल बदलाव बवासीर का कारण बन सकते हैं।
- भारी वजन उठाना: भारी सामान उठाने से पेट पर दबाव पड़ता है।
- एनल सेक्स: यह गुदा क्षेत्र में नसों को नुकसान पहुंचा सकता है।
- आयु: उम्र बढ़ने के साथ गुदा क्षेत्र की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं।
पुरानी बवासीर के लक्षण
पुरानी बवासीर के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- मल त्याग करते समय दर्द: विशेष रूप से बाहरी बवासीर में।
- गुदा के आसपास खुजली और जलन: यह एक आम और परेशान करने वाला लक्षण है।
- गुदा के आसपास सूजन या गांठ: बाहरी बवासीर में ये गांठें स्पष्ट रूप से महसूस हो सकती हैं।
- मल में खून आना: चमकदार लाल खून जो मल के साथ या टॉयलेट पेपर पर दिखाई दे सकता है।
- बलगम का निकलना: कुछ मामलों में बवासीर से बलगम भी निकल सकता है।
- मल त्याग के तुरंत बाद दबाव महसूस होना: ऐसा लग सकता है कि अभी भी मल बचा हुआ है।
पुरानी बवासीर का उपचार
पुरानी बवासीर के उपचार में जीवनशैली में बदलाव, घरेलू उपाय, दवाएं और गंभीर मामलों में सर्जरी शामिल हैं।
1. जीवनशैली में बदलाव और आहार
यह बवासीर के इलाज का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, खासकर पुरानी बवासीर के लिए।
- फाइबर युक्त आहार: अपने आहार में उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ जैसे फल (पपीता, अंजीर, सेब, केला), सब्जियां (मूली, पालक, लौकी, तोरी), साबुत अनाज (ओट्स, बाजरा, ब्राउन राइस), दालें, और नट्स शामिल करें। फाइबर मल को नरम करता है और कब्ज को रोकता है।
- पर्याप्त पानी पिएं: दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं। पानी शरीर को हाइड्रेटेड रखता है और मल को नरम बनाने में मदद करता है।
- शौच की आदतें:
- शौच के लिए जोर न लगाएं।
- शौचालय में लंबे समय तक न बैठें।
- जब भी शौच करने की इच्छा हो, तुरंत जाएं, इसे रोके नहीं।
- नियमित व्यायाम: नियमित शारीरिक गतिविधि आंतों की गति को बेहतर बनाने में मदद करती है और कब्ज को रोकती है।
- वजन नियंत्रण: यदि आपका वजन अधिक है, तो इसे कम करने का प्रयास करें।
- शराब और कैफीन से बचें: ये शरीर को डिहाइड्रेट कर सकते हैं और कब्ज बढ़ा सकते हैं।
- मसालेदार और तैलीय भोजन से बचें: ऐसे भोजन बवासीर के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं।
- दही और छाछ: अपने आहार में दही और छाछ को शामिल करें, ये पाचन के लिए अच्छे होते हैं।
2. घरेलू उपचार
कुछ घरेलू उपाय पुरानी बवासीर के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं:
- सिट्ज़ बाथ (Sitz Bath): एक टब में गुनगुना पानी भरें (एप्सम सॉल्ट या सेंधा नमक मिलाना फायदेमंद हो सकता है) और उसमें 15-20 मिनट तक बैठें। यह सूजन, दर्द और खुजली को कम करने में मदद करता है। इसे दिन में 2-3 बार कर सकते हैं।
- बर्फ की सिकाई (Cold Compress): एक साफ कपड़े में बर्फ के टुकड़े लपेटकर प्रभावित क्षेत्र पर 10-15 मिनट के लिए लगाएं। यह सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है।
- एलोवेरा (Aloe Vera): ताजे एलोवेरा के गूदे को सीधे मस्सों पर लगाने से जलन और सूजन कम हो सकती है। एलोवेरा का जूस पीने से कब्ज में भी आराम मिलता है।
- नारियल का तेल (Coconut Oil): नारियल का तेल मस्सों पर लगाने से खुजली और जलन कम हो सकती है। इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं।
- अंजीर (Figs): रात को 2-3 सूखे अंजीर पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट इन्हें खाकर पानी पी लें। यह कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है।
- मूली का रस (Radish Juice): मूली का रस पीने से भी बवासीर में लाभ हो सकता है।
- तिल के बीज (Sesame Seeds): तिल के बीजों को पीसकर मक्खन के साथ सेवन करना खूनी बवासीर में फायदेमंद माना गया है। बाहरी बवासीर पर तिल का तेल लगाना भी आरामदायक हो सकता है।
- त्रिफला चूर्ण (Triphala Churna): रात को सोते समय 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लेने से कब्ज में राहत मिलती है। यह आयुर्वेदिक उपाय आंतों को साफ रखने में मदद करता है।
- केला और कपूर: पके केले के एक टुकड़े में चने के बराबर भीमसेनी कपूर डालकर निगलने से भी लाभ मिलने का दावा किया जाता है। इसे 3 दिन तक खाली पेट लेने की सलाह दी जाती है।
- नींबू का रस, अदरक और शहद: नींबू के रस में अदरक और शहद मिलाकर पीने से भी बवासीर में राहत मिल सकती है।
- छाछ और अजवाइन: एक चम्मच अजवाइन पाउडर और काला नमक मिलाकर रोजाना दोपहर में ताजे छाछ में मिलाकर पिएं।
3. औषधीय उपचार
डॉक्टर बवासीर के लक्षणों को कम करने के लिए कुछ दवाएं दे सकते हैं:
- टॉपिकल क्रीम और सपोसिटरीज (Topical Creams and Suppositories): ये दर्द, खुजली और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इनमें हाइड्रोकॉर्टिसोन जैसे तत्व हो सकते हैं।
- दर्द निवारक (Pain Relievers): ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक जैसे इबुप्रोफेन या एसिटामिनोफेन दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- फाइबर सप्लीमेंट (Fiber Supplements): यदि आहार से पर्याप्त फाइबर नहीं मिल रहा है, तो डॉक्टर फाइबर सप्लीमेंट जैसे साइलियम (इसबगोल) की सलाह दे सकते हैं।
- मल सॉफ़्टनर (Stool Softeners): ये मल को नरम करते हैं, जिससे शौच करना आसान हो जाता है और जोर लगाने से बचा जा सकता है।
4. चिकित्सकीय प्रक्रियाएं (नॉन-सर्जिकल)
यदि घरेलू उपचार और जीवनशैली में बदलाव से आराम नहीं मिलता है, तो डॉक्टर कुछ प्रक्रियाओं की सलाह दे सकते हैं:
- रबर बैंड लिगेशन (Rubber Band Ligation): यह अंदरूनी बवासीर के लिए एक सामान्य प्रक्रिया है। मस्से के आधार पर एक छोटा रबर बैंड लगाया जाता है, जिससे मस्से में रक्त प्रवाह बंद हो जाता है और वह कुछ दिनों में सूख कर गिर जाता है।
- स्क्लेरोथेरेपी (Sclerotherapy): इसमें मस्से में एक रसायन इंजेक्ट किया जाता है, जिससे वह सिकुड़ जाता है।
- इन्फ्रारेड कोएग्यूलेशन (Infrared Coagulation – IRC): इसमें इन्फ्रारेड लाइट का उपयोग करके मस्से में रक्त के प्रवाह को रोक दिया जाता है, जिससे वह सिकुड़ जाता है।
5. सर्जिकल उपचार
ग्रेड 3 या ग्रेड 4 की पुरानी बवासीर के लिए, या जब अन्य उपचार विफल हो जाते हैं, तो सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
- हेमोरॉयडेक्टॉमी (Hemorrhoidectomy): यह सबसे प्रभावी सर्जिकल उपचार है, जिसमें अतिरिक्त ऊतक (मस्से) को शल्य चिकित्सा द्वारा हटा दिया जाता है। यह ओपन या लेज़र सर्जरी के माध्यम से किया जा सकता है।
- लेजर हेमरॉयडेक्टॉमी (Laser Hemorrhoidectomy): यह बवासीर के इलाज की एक आधुनिक प्रक्रिया है, जिसमें लेजर किरणों का उपयोग करके मस्सों को जलाया या काटा जाता है। इसमें चीरा नहीं लगता, रक्तस्राव कम होता है, और रिकवरी तेजी से होती है।
- ओपन हेमरॉयडेक्टॉमी (Open Hemorrhoidectomy): यह एक पारंपरिक सर्जरी है जिसमें मस्से को काटकर हटा दिया जाता है।
- स्टेपलर हेमरॉयडेक्टॉमी (Stapled Hemorrhoidectomy / PPH – Procedure for Prolapse and Hemorrhoids): इसमें एक विशेष स्टेपलिंग डिवाइस का उपयोग करके मस्से को अपनी जगह पर वापस खींच लिया जाता है और रक्त की आपूर्ति कम कर दी जाती है।
- डॉपलर-गाइडेड हेमरॉयडल आर्टरी लिगेशन (Doppler-Guided Hemorrhoidal Artery Ligation – DG-HAL): इसमें एक डॉपलर उपकरण का उपयोग करके उन धमनियों का पता लगाया जाता है जो मस्सों को रक्त की आपूर्ति करती हैं, और फिर उन्हें बांध दिया जाता है।
पुरानी बवासीर के लिए आयुर्वेदिक
आयुर्वेद में बवासीर को ‘अर्श’ कहा जाता है। इसमें वात, पित्त और कफ दोषों के असंतुलन को मुख्य कारण माना जाता है। आयुर्वेदिक उपचार में जड़ी-बूटियों, आहार और जीवनशैली में बदलाव पर जोर दिया जाता है।
- कांचनार गुग्गुल (Kanchnar Guggul): सूजन कम करने में मदद करता है।
- अर्शोहर वटी (Arshohar Vati): यह आयुर्वेदिक दवा बवासीर से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद करती है।
- अर्शकुतर रस (Arshkutar Ras): खूनी बवासीर के लिए उपयोगी।
- अर्शोतर चूर्ण (Arshotar Churna): इसमें नींबू का रस, सेंधा नमक, सोंठ, हरड़, बहेड़ा, आंवला आदि होते हैं।
- अभयारिष्ट (Abhayarishta): यह एक आयुर्वेदिक सिरप है जो कब्ज और पाचन संबंधी समस्याओं के लिए फायदेमंद है।
- नीम का तेल (Neem Oil): बाहरी मस्सों पर लगाने से खुजली और जलन कम होती है।
- त्रिफला (Triphala): कब्ज को दूर करने और आंतों को साफ रखने में सहायक।
- बकायन के बीज (Bakayan seeds): बवासीर में फायदेमंद माने जाते हैं।
आयुर्वेदिक उपचार के लिए किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे आपके शरीर के दोषों के अनुसार सही दवा और खुराक बता सकते हैं।
बचाव और रोकथाम
बवासीर को रोकने के लिए कुछ उपाय:
- उच्च फाइबर वाला आहार लें: फल, सब्जियां और साबुत अनाज खूब खाएं।
- खूब पानी पिएं: शरीर को हाइड्रेटेड रखें।
- नियमित व्यायाम करें: शारीरिक गतिविधि पाचन तंत्र को स्वस्थ रखती है।
- शौचालय में अधिक देर तक न बैठें: यह गुदा क्षेत्र पर दबाव बढ़ा सकता है।
- कब्ज और दस्त का तुरंत इलाज कराएं: इन्हें नजरअंदाज न करें।
- भारी वजन उठाने से बचें: यदि आवश्यक हो तो सही तकनीक का उपयोग करें।
- स्वच्छता बनाए रखें: शौच के बाद गुदा क्षेत्र को हल्के गर्म पानी से साफ करें और धीरे से सुखाएं।
डॉक्टर से कब मिलें?
यदि आपको निम्न में से कोई भी लक्षण अनुभव होता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
- मल में अत्यधिक खून आना।
- तेज दर्द जो घरेलू उपचार से ठीक न हो।
- मस्से बाहर आ गए हों और अंदर न जा रहे हों।
- बुखार, ठंड लगना या गुदा क्षेत्र में गंभीर सूजन जैसे संक्रमण के लक्षण।
- पेट में दर्द या मल त्याग की आदतों में अचानक बदलाव।
याद रखें, पुरानी बवासीर का इलाज संभव है। सही समय पर सही उपचार लेने से आप इस असहज स्थिति से छुटकारा पा सकते हैं और अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं। डॉक्टर की सलाह लेना हमेशा सबसे अच्छा विकल्प होता है, खासकर जब समस्या पुरानी या गंभीर हो। पुरानी से पुरानी बवासीर (Piles) से परेशान हैं? जानिए बवासीर का परमानेंट इलाज! इस लेख में समझें पुरानी बवासीर के कारण, लक्षण और घरेलू नुस्खे, आयुर्वेदिक उपाय, और आधुनिक उपचार (लेजर सर्जरी सहित) जो आपको हमेशा के लिए बवासीर से छुटकारा दिलाएंगे। कब्ज से राहत, डाइट टिप्स, और प्रभावी इलाज की पूरी जानकारी हिंदी में। पाएं दर्द, जलन और खुजली से मुक्ति।