प्रेगनेंट नहीं होने के कारण और इलाज
प्रेगनेंट न हो पाना आजकल एक सामान्य लेकिन चिंता का विषय बनता जा रहा है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं—शारीरिक, हार्मोनल, मानसिक या जीवनशैली से जुड़े हुए। सबसे पहले महिलाओं में ओवुलेशन की समस्या प्रमुख कारण होती है, जिसमें अंडाणु समय पर नहीं बनता। यह स्थिति आमतौर पर पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) के कारण होती है। इसके अलावा फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक, एंडोमेट्रिओसिस, थायरॉइड असंतुलन, अनियमित पीरियड्स और उम्र का अधिक होना भी गर्भधारण में रुकावट बन सकते हैं।
पुरुषों में भी कई बार कम स्पर्म काउंट, शुक्राणुओं की धीमी गति, या स्पर्म की गुणवत्ता में खराबी जैसी समस्याएं सामने आती हैं। तनाव, धूम्रपान, शराब, मोटापा और खराब आहार इन सभी समस्याओं को और बढ़ा सकते हैं।
इलाज के लिए सबसे पहले दोनों को मिलकर फर्टिलिटी टेस्ट कराना चाहिए। महिलाओं को हार्मोनल टेस्ट, सोनोग्राफी, और ट्यूब टेस्ट कराना चाहिए, जबकि पुरुषों को स्पर्म एनालिसिस कराना चाहिए। यदि कोई समस्या सामने आती है, तो डॉक्टर द्वारा दिए गए इलाज जैसे ओवुलेशन दवाएं, आईयूआई, या आईवीएफ अपनाया जा सकता है।
इसके साथ ही आयुर्वेदिक उपाय जैसे शतावरी, अश्वगंधा, सफेद मूसली, और संतुलित आहार व योग को दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। तनाव से दूर रहना, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद लेना भी अत्यंत जरूरी है। सही समय, सही तरीका और डॉक्टर की सलाह के साथ इलाज करने से गर्भधारण की संभावना काफी हद तक बढ़ सकती है।
पति-पत्नी को बच्चा पैदा करने के लिए क्या करना चाहिए?
पति-पत्नी को बच्चा पैदा करने के लिए सबसे पहले एक-दूसरे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी होता है। संतान प्राप्ति के लिए केवल यौन संबंध बनाना ही पर्याप्त नहीं होता, बल्कि उसके लिए समय, आहार, दिनचर्या और तनाव-मुक्त जीवनशैली का भी बड़ा योगदान होता है। सबसे पहले दोनों को अपनी फर्टिलिटी यानी प्रजनन क्षमता को समझना चाहिए। महिला को अपने मासिक चक्र को ट्रैक करना चाहिए ताकि ओवुलेशन (अंडा बनने का समय) का सही अंदाज़ा लगाया जा सके। यही समय गर्भधारण के लिए सबसे उपयुक्त होता है। इस दौरान यौन संबंध बनाना गर्भ ठहरने की संभावना को बढ़ा देता है।
पुरुषों को भी अपने शुक्राणु की गुणवत्ता और मात्रा का ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए धूम्रपान, शराब और अत्यधिक गर्म वातावरण से बचना चाहिए। दोनों को मिलकर हेल्दी और संतुलित आहार लेना चाहिए जिसमें फोलिक एसिड, जिंक, आयरन, विटामिन B12 और विटामिन D भरपूर मात्रा में हो। नियमित व्यायाम करें, पर्याप्त नींद लें और तनाव से दूर रहें क्योंकि तनाव भी गर्भधारण में बड़ी बाधा बन सकता है।
संतान प्राप्ति के लिए नियमित लेकिन अति-नियमित यौन संबंध से बचें। सप्ताह में 3 से 4 बार संबंध पर्याप्त होता है, खासकर ओवुलेशन के आस-पास के दिनों में। यदि एक वर्ष तक प्रयास के बाद भी गर्भ नहीं ठहरता है तो दोनों को फर्टिलिटी जांच जरूर करवानी चाहिए। समय रहते कारण जानकर इलाज शुरू करना जरूरी होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि पति-पत्नी एक-दूसरे को मानसिक सहयोग दें और धैर्य के साथ इस प्रक्रिया को अपनाएं।
बच्चा पैदा करना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन इसके लिए दोनों पति-पत्नी को कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए:
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं – संतुलित आहार, व्यायाम, नींद और तनाव से दूरी बनाए रखें।
जनन स्वास्थ्य की जाँच – दोनों को फर्टिलिटी टेस्ट करवाने चाहिए ताकि किसी प्रकार की गुप्त समस्या का समय पर पता चल सके।
ओव्यूलेशन पर ध्यान दें – स्त्री को यह जानना जरूरी है कि उसका ओवुलेशन कब होता है ताकि उसी समय यौन संबंध बनाकर गर्भधारण की संभावना बढ़ाई जा सके।
धूम्रपान और शराब से दूरी – ये दोनों चीजें स्पर्म और अंडाणु की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।
सही उम्र में प्रयास करें – महिलाओं के लिए 20-30 साल की उम्र गर्भधारण के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।

गर्भवती न हो पाने के मुख्य कारण क्या हैं?
गर्भवती न हो पाने के कई कारण हो सकते हैं, जो महिला या पुरुष दोनों से जुड़े हो सकते हैं। महिलाओं में सबसे सामान्य कारणों में पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) शामिल है, जिसमें अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं और ओवुलेशन प्रभावित होता है। इसके अलावा फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होना, एंडोमेट्रिओसिस, अनियमित माहवारी, या गर्भाशय में कोई रुकावट भी गर्भधारण में समस्या उत्पन्न कर सकती है। कभी-कभी थायरॉइड या हार्मोनल असंतुलन जैसे FSH, LH, प्रोलैक्टिन आदि के स्तर में गड़बड़ी के कारण भी गर्भ नहीं ठहरता। उम्र भी एक अहम भूमिका निभाती है—35 साल के बाद महिलाओं की फर्टिलिटी में प्राकृतिक रूप से गिरावट आने लगती है।
पुरुषों में भी कई कारण हो सकते हैं जैसे कि कम स्पर्म काउंट, कमजोर शुक्राणु, शुक्राणुओं की गति कम होना, या स्पर्म में कोई बनावट संबंधी दोष। जीवनशैली भी बहुत प्रभाव डालती है—धूम्रपान, शराब, मोटापा, अत्यधिक तनाव, नींद की कमी, पोषण की कमी आदि फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा बहुत अधिक या बहुत कम यौन संबंध बनाना भी गर्भधारण को प्रभावित करता है।
कभी-कभी मानसिक तनाव या किसी पुरानी बीमारी के इलाज में ली गई दवाओं का भी प्रभाव होता है। इसलिए यदि एक साल तक प्रयास के बाद भी गर्भ नहीं ठहर रहा है तो स्त्री-पुरुष दोनों को संपूर्ण फर्टिलिटी जांच करानी चाहिए और विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए ताकि सही कारण का पता लगाकर उसका उपचार किया जा सके।
गर्भधारण न कर पाने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शारीरिक, हार्मोनल और जीवनशैली से जुड़े कारण शामिल हैं:
1. महिला के शरीर में कारण
पीसीओएस (PCOS) – महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन की वजह से अंडाणु बनना रुक जाता है।
फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज – जिससे शुक्राणु और अंडाणु का मिलन नहीं हो पाता।
एंडोमेट्रिओसिस – गर्भाशय की परत का बाहरी हिस्सों में बढ़ना।
अनियमित माहवारी – जिससे ओव्यूलेशन प्रभावित होता है।
2. पुरुषों के कारण
कम स्पर्म काउंट
शुक्राणु की गति में कमी
स्पर्म की गुणवत्ता में खराबी
3. सामान्य कारण
तनाव, मोटापा, ज्यादा कैफीन, हार्मोनल दवाएं, उम्र का अधिक होना।
प्रेग्नेंट करने के लिए कितनी बार करना पड़ता है?
प्रेग्नेंट होने के लिए जरूरी नहीं कि हर दिन यौन संबंध बनाए जाएं, बल्कि सही समय पर संबंध बनाना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। महिलाओं के मासिक चक्र में ओवुलेशन यानी अंडाणु बनने का समय सबसे उपयुक्त होता है। यह आमतौर पर पीरियड्स के 11वें से 17वें दिन के बीच होता है (28 दिन के चक्र के आधार पर)। इस दौरान यदि 2-3 दिन के भीतर यौन संबंध बनाए जाएं तो गर्भधारण की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।
विशेषज्ञों की सलाह है कि सप्ताह में 3 से 4 बार यौन संबंध बनाना पर्याप्त होता है, खासकर ओवुलेशन के आसपास। रोजाना संबंध बनाने से स्पर्म काउंट कम हो सकता है, जबकि लंबे समय तक न करने से स्पर्म की क्वालिटी कमजोर हो सकती है। इसलिए सही अंतराल पर संबंध बनाना ज्यादा लाभकारी होता है।
यदि महिला के ओवुलेशन का समय ट्रैक किया जाए और उसी दौरान संबंध बनाए जाएं, तो गर्भवती होने की संभावना अधिक होती है। इसके लिए ओवुलेशन किट या मोबाइल ऐप की मदद ली जा सकती है। एक स्वस्थ जोड़े को सामान्य रूप से गर्भधारण में 6 महीने से 1 साल तक का समय लग सकता है। धैर्य और सही जानकारी के साथ प्रयास करना जरूरी है।
गर्भवती होने के लिए रोज़ाना यौन संबंध बनाने की जरूरत नहीं होती, बल्कि सही समय पर संबंध बनाना जरूरी होता है। ओवुलेशन के 4-5 दिनों के भीतर 1 से 2 दिन के अंतर से संबंध बनाना पर्याप्त होता है।
सप्ताह में 3-4 बार यौन संबंध बनाना सबसे अच्छा रहता है।
ओवुलेशन डेट से 2 दिन पहले और 2 दिन बाद तक नियमित संबंध बनाने की सलाह दी जाती है।
गर्भ नहीं ठहर रहा है तो क्या करना चाहिए?
अगर लगातार प्रयासों के बावजूद गर्भ नहीं ठहर रहा है, तो सबसे पहले पति-पत्नी दोनों को मिलकर कारण जानने की कोशिश करनी चाहिए। सबसे ज़रूरी है कि महिला और पुरुष दोनों की फर्टिलिटी जांच करवाई जाए। महिलाओं के लिए हार्मोनल टेस्ट (जैसे FSH, LH, AMH, प्रोलैक्टिन), सोनोग्राफी, ओवुलेशन जांच और फैलोपियन ट्यूब की स्थिति की जाँच ज़रूरी होती है। पुरुषों के लिए स्पर्म काउंट और क्वालिटी की जाँच करवानी चाहिए।
महिला को ओवुलेशन के समय के आसपास (मासिक धर्म के 11वें से 17वें दिन के बीच) यौन संबंध बनाना चाहिए। इस समय गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक होती है। ओवुलेशन डेट ट्रैक करने के लिए ओवुलेशन किट या मोबाइल ऐप का उपयोग किया जा सकता है।
इसके साथ ही जीवनशैली में सुधार लाना भी जरूरी है। संतुलित आहार, व्यायाम, पर्याप्त नींद और तनावमुक्त जीवन गर्भधारण में सहायक होते हैं। धूम्रपान, शराब और जंक फूड से बचना चाहिए।
यदि 6 महीने से 1 साल तक प्रयास के बावजूद भी गर्भ नहीं ठहरता है, तो फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से सलाह लेना चाहिए। सही कारण जानकर समय पर उपचार शुरू करना गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ा सकता है।
यदि आप नियमित प्रयासों के बावजूद भी गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं, तो निम्न उपायों पर ध्यान दें:
महिला और पुरुष दोनों की फर्टिलिटी टेस्ट कराएं।
एक्सपर्ट गायनेकोलॉजिस्ट से परामर्श लें।
हार्मोनल टेस्ट (FSH, LH, AMH, Prolactin) कराएं।
हिस्टेरोस्कोपी या सोनोग्राफी के जरिए गर्भाशय की जाँच कराएं।
सही आहार और तनाव नियंत्रण पर ध्यान दें।
इंटरकोर्स की टाइमिंग और पोजिशन पर काम करें।
प्रेग्नेंट करने के लिए सही पोजीशन क्या है?
गर्भधारण में पोजीशन का सीधा वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन कुछ यौन पोजीशन ऐसी मानी जाती हैं जो स्पर्म को गर्भाशय के भीतर गहराई तक पहुँचाने में मदद कर सकती हैं, जिससे गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाती है। सबसे अधिक प्रभावी मानी जाने वाली पोजीशन है मिशनरी पोजीशन, जिसमें पुरुष ऊपर और महिला नीचे होती है। इस पोजीशन में स्पर्म सीधा गर्भाशय की ओर जाता है।
इसके अलावा डॉगी स्टाइल (महिला झुकी हुई स्थिति में) भी एक असरदार पोजीशन मानी जाती है, जिससे स्पर्म गहरे तक पहुँचता है। पोजीशन के बाद महिला को करीब 10 से 15 मिनट तक लेटे रहना चाहिए और पैरों को थोड़ा ऊपर उठा लेना चाहिए, ताकि स्पर्म बाहर निकलने की बजाय गर्भाशय की दिशा में आगे बढ़ सके।
कई बार यौन संबंध के तुरंत बाद उठने या वॉशरूम जाने से स्पर्म बाहर निकल सकता है, जिससे गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है। इसलिए संबंध के बाद थोड़ी देर आराम करना फायदेमंद होता है।
ध्यान रहे कि पोजीशन के साथ-साथ सही समय (ओवुलेशन पीरियड) और दोनों की फर्टिलिटी भी गर्भधारण में अहम भूमिका निभाती है।
गर्भधारण में पोजीशन का बड़ा रोल नहीं होता, लेकिन कुछ पोजीशन स्पर्म को गर्भाशय तक पहुँचने में मदद कर सकती हैं।
मिशनरी पोजीशन (महिला नीचे, पुरुष ऊपर) – सबसे अधिक असरदार मानी जाती है।
डॉगी स्टाइल – जिससे स्पर्म गहराई तक पहुँचता है।
फिनिशिंग के बाद 10-15 मिनट लेटे रहें – पैरों को ऊपर की तरफ रखकर, जिससे स्पर्म नीचे की ओर न निकले।

तुरंत प्रेग्नेंट होने के लिए क्या करें?
अगर आप जल्दी या तुरंत गर्भवती होना चाहती हैं, तो कुछ महत्वपूर्ण बातों का पालन करके इस प्रक्रिया को तेज़ और प्रभावी बनाया जा सकता है। सबसे पहले जरूरी है कि महिला अपने ओवुलेशन (अंडा बनने का समय) को ट्रैक करे। ओवुलेशन मासिक धर्म शुरू होने के लगभग 11वें से 17वें दिन के बीच होता है (28 दिन के चक्र में)। इस दौरान यौन संबंध बनाने से गर्भवती होने की संभावना सबसे अधिक होती है। आप ओवुलेशन किट, मोबाइल ऐप या अपने शरीर के संकेतों (जैसे चिपचिपा सफेद स्राव) के माध्यम से इसे पहचान सकती हैं।
संतुलित आहार भी बहुत जरूरी है। फोलिक एसिड, आयरन, जिंक, विटामिन B12 और विटामिन D जैसे पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें। हरी सब्जियाँ, फल, सूखे मेवे, अंडा, दूध और दही का सेवन करें। तनाव से बचें क्योंकि तनाव हार्मोन असंतुलन पैदा करता है जो गर्भधारण को प्रभावित कर सकता है।
शारीरिक फिटनेस बनाए रखें—नियमित व्यायाम और योग से न केवल शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि हार्मोन संतुलन भी सही बना रहता है। धूम्रपान, शराब और कैफीन से दूरी बनाए रखें क्योंकि ये फर्टिलिटी को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
संबंध बनाने के तुरंत बाद महिला को कुछ देर तक लेटे रहना चाहिए और पैरों को ऊपर की ओर उठाकर आराम करना चाहिए ताकि शुक्राणु को अंडाणु तक पहुँचने का समय मिल सके। नियमित लेकिन संतुलित रूप से सप्ताह में 3–4 बार संबंध बनाएं, विशेषकर ओवुलेशन के दिनों में।
यदि 6–12 महीने तक लगातार प्रयास के बाद भी गर्भ नहीं ठहरे, तो डॉक्टर से संपर्क करें और आवश्यक फर्टिलिटी जांच कराएं। सही समय और सही तरीका अपनाने से गर्भधारण की संभावना बढ़ाई जा सकती है।
ओव्यूलेशन की डेट ट्रैक करें – इसके लिए ओव्यूलेशन किट या मोबाइल ऐप का इस्तेमाल करें।
संतुलित आहार लें – आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन B12, जिंक से भरपूर खाना खाएं।
तनाव से दूर रहें – योग, ध्यान और पर्याप्त नींद लें।
धूम्रपान, शराब और कैफीन छोड़ें।
प्राकृतिक तरीके अपनाएं – जैसे अश्वगंधा, शतावरी, सफेद मूसली आदि का सेवन।
वजन नियंत्रित रखें – बहुत अधिक या बहुत कम वजन दोनों ही गर्भधारण में बाधा बन सकते हैं।
बीवी को प्रेग्नेंट करने में कितना समय लगता है?
बीवी को प्रेग्नेंट करने में लगने वाला समय हर जोड़े के लिए अलग हो सकता है क्योंकि यह कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे महिला की उम्र, मासिक चक्र की नियमितता, पुरुष की शुक्राणु गुणवत्ता, जीवनशैली और शारीरिक स्वास्थ्य। एक स्वस्थ और सामान्य कपल को, बिना किसी फर्टिलिटी समस्या के, गर्भधारण में औसतन 6 महीने से 1 साल तक का समय लग सकता है।
अगर महिला की उम्र 30 साल से कम है और उसका मासिक चक्र नियमित है, तो हर महीने गर्भवती होने की संभावना लगभग 20 से 25% होती है। ओवुलेशन के समय के आसपास (पीरियड्स के 11वें से 17वें दिन के बीच) नियमित यौन संबंध बनाना गर्भधारण की संभावना को बढ़ाता है।
अगर प्रयास करते हुए 1 साल हो चुका है और फिर भी गर्भ नहीं ठहर रही है, तो पति-पत्नी दोनों को फर्टिलिटी जांच करानी चाहिए। महिलाओं को हार्मोनल टेस्ट, सोनोग्राफी और ट्यूब की जाँच, जबकि पुरुषों को स्पर्म काउंट और गुणवत्ता की जांच करानी चाहिए।
समय पर कारणों की पहचान और सही इलाज से गर्भधारण जल्दी हो सकता है। धैर्य और सकारात्मक सोच इस प्रक्रिया में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं।
सामान्य रूप से एक स्वस्थ कपल को गर्भधारण में 6 महीने से 1 साल का समय लग सकता है।
80-90% महिलाएं एक साल के अंदर गर्भवती हो जाती हैं।
अगर 12 महीने प्रयास के बाद भी सफलता नहीं मिले तो डॉक्टर से संपर्क करें।
गर्भ ठहरने की टेबलेट कौन सी है?
नीचे कुछ प्रमुख दवाएं हैं जो डॉक्टर की सलाह पर ली जाती हैं:
क्लोमिफीन साइट्रेट (Clomid) – अंडाणु के उत्पादन में मदद करता है।
लेट्रोजोल (Letrozole) – पीसीओएस में ओवुलेशन को उत्तेजित करता है।
गोनाडोट्रॉपिन्स इंजेक्शन – IVF या IUI के लिए।
फोलिक एसिड टैबलेट – गर्भधारण से पहले और बाद में ज़रूरी।
डूपहैस्टन (Duphaston) – प्रोजेस्टेरोन की पूर्ति के लिए।
नोट: इन दवाओं का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के बिल्कुल न करें।
मैं गर्भवती क्यों नहीं हो सकती?
अगर आप लंबे समय से गर्भवती होने की कोशिश कर रही हैं लेकिन सफलता नहीं मिल रही है, तो इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं। सबसे सामान्य कारणों में ओवुलेशन न होना है, जिसमें अंडाणु समय पर नहीं बनता। यह समस्या आमतौर पर पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) के कारण होती है, जो एक हार्मोनल असंतुलन है।
इसके अलावा फैलोपियन ट्यूब में रुकावट, एंडोमेट्रिओसिस, या गर्भाशय में कोई संरचनात्मक समस्या भी गर्भधारण में बाधा बन सकती है। हार्मोन का असंतुलन (FSH, LH, प्रोलैक्टिन, थायरॉइड) गर्भवती न हो पाने का एक और बड़ा कारण हो सकता है।
यदि आपकी उम्र 35 से अधिक है, तो फर्टिलिटी स्वाभाविक रूप से घटने लगती है। साथ ही, अत्यधिक तनाव, मोटापा, पोषण की कमी, धूम्रपान, शराब और नींद की कमी भी इस प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।
अगर आप एक साल तक नियमित यौन संबंध बनाने के बावजूद गर्भवती नहीं हो पा रही हैं, तो जल्द से जल्द किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ या फर्टिलिटी डॉक्टर से संपर्क करें। सही जांच और उपचार के ज़रिए गर्भधारण की संभावना को बढ़ाया जा सकता है।
यह सवाल कई महिलाओं के मन में आता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:
ओव्यूलेशन न होना – बिना ओव्यूलेशन के अंडाणु नहीं बनता।
पीसीओएस – यह एक आम हार्मोनल विकार है।
एंडोमेट्रिओसिस – गर्भाशय की परत गर्भधारण में बाधा बन सकती है।
थायरॉइड – हाइपो या हाइपरथायरॉइड की स्थिति फर्टिलिटी पर असर डालती है।
फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज – स्पर्म और एग के मिलन में रुकावट।
उम्र अधिक होना – 35 के बाद फर्टिलिटी में कमी आना शुरू होती है।
तनाव और डिप्रेशन – गर्भवती होने की संभावना को घटाता है।

अतिरिक्त सुझाव: गर्भधारण के लिए आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय
गर्भधारण की संभावना बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय काफी प्रभावी माने जाते हैं। ये न केवल शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं बल्कि हार्मोनल संतुलन भी बनाए रखते हैं।
शतावरी चूर्ण – 1 चम्मच दूध के साथ रोज लें।
अश्वगंधा – तनाव दूर करता है और हार्मोन संतुलन बनाए रखता है।
गोंद (गोंद कतीरा) – शरीर को ठंडा रखता है और फर्टिलिटी बढ़ाता है।
नारियल पानी – हार्मोन संतुलन बनाए रखता है।
बाजरे की रोटी और देसी घी – गर्भाशय की गर्मी को संतुलित करता है।
निष्कर्ष
प्रेग्नेंट न हो पाना एक आम समस्या है लेकिन यह इलाज योग्य है। सबसे जरूरी बात है कि पति-पत्नी दोनों धैर्य रखें और एक-दूसरे का साथ दें। सही समय पर विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें और ज़रूरत पड़े तो फर्टिलिटी ट्रीटमेंट का सहारा लें।
अगर आपने ऊपर बताए गए उपाय अपनाए और फिर भी गर्भ नहीं ठहर रहा है, तो विलंब न करें। डॉक्टर से परामर्श ही आपकी सबसे सुरक्षित और असरदार राह होगी।
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