🌼 आषाढ़ी एकादशी 2025 – व्रत की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में

🌼 आषाढ़ी एकादशी 2025 – व्रत की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में

🔶 भूमिका

भारतीय संस्कृति में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। हर महीने दो एकादशी आती हैं — शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में। इन सभी एकादशियों में आषाढ़ी एकादशी, जिसे देवशयनी एकादशी, हरिशयनी एकादशी या पद्मा एकादशी भी कहा जाता है, का अपना विशेष महत्व है। यह एकादशी भगवान विष्णु की शयन यात्रा की शुरुआत का प्रतीक होती है और चार महीने के चातुर्मास की शुरुआत इसी दिन मानी जाती है। आषाढ़ी एकादशी 2025

इस लेख में हम जानेंगे कि आषाढ़ी एकादशी 2025 में कब है, इसका धार्मिक महत्व क्या है, व्रत विधि, पूजा सामग्री, कथा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, और इस दिन क्या करें व क्या न करें।


🔶 आषाढ़ी एकादशी 2025 में कब है?

तिथि:
➡️ आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि
➡️ दिनांक: मंगलवार, 8 जुलाई 2025

एकादशी तिथि आरंभ: 8 जुलाई 2025 को प्रातः 06:45 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 9 जुलाई 2025 को प्रातः 08:10 बजे

पारण (व्रत तोड़ने का समय): आषाढ़ी एकादशी 2025
➡️ 9 जुलाई 2025 को प्रातः 06:00 से 08:15 बजे तक


🔶 आषाढ़ी एकादशी का महत्व

  1. 🌿 यह दिन भगवान विष्णु की शयन यात्रा की शुरुआत का प्रतीक होता है।

  2. 🌸 इस दिन से चातुर्मास प्रारंभ होता है, जिसमें भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं।

  3. 🙏 यह व्रत व्यक्ति को पापों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष की ओर अग्रसर करता है।

  4. 🚩 महाराष्ट्र में इस दिन पंढरपुर यात्रा और वारकरी संप्रदाय की विशेष पूजा होती है।

  5. 🌎 यह पर्यावरण संरक्षण और संयम का प्रतीक भी माना जाता है।


🔶 पूजा विधि (व्रत कैसे करें?) आषाढ़ी एकादशी 2025

✅ व्रत की तैयारी

  • एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को सात्विक भोजन लें।

  • ब्रह्मचर्य का पालन करें और मानसिक रूप से शुद्ध रहें।

✅ पूजा सामग्री

  • तुलसी पत्ते

  • पीली वस्तु (चने की दाल, पीला फूल)

  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)

  • दीपक, अगरबत्ती, धूप

  • नारियल, फल, अक्षत (चावल)

  • विष्णु सहस्त्रनाम पुस्तिका

✅ व्रत की विधि आषाढ़ी एकादशी 2025

  1. प्रातः स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।

  2. भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं।

  3. पीले वस्त्र पहनाकर फूल, तुलसी और पंचामृत अर्पित करें।

  4. विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु अष्टोत्तर शतनामावली, गीता का पाठ करें।

  5. दीपक जलाकर आरती करें और भजन-कीर्तन करें।

  6. दिनभर निर्जल व्रत रखें। (शारीरिक स्थिति के अनुसार फलाहार लिया जा सकता है)

  7. अगले दिन पारण काल में व्रत तोड़ें।


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🔶 आषाढ़ी एकादशी व्रत कथा

प्राचीन काल में मंधाता नामक एक पराक्रमी राजा था, जो सत्य, न्याय और धर्म के मार्ग पर चलता था। परंतु एक समय उसके राज्य में दुर्भिक्ष (सूखा) पड़ गया। संतों ने बताया कि यदि राजा आषाढ़ी एकादशी का व्रत करेगा तो उसके राज्य में सुख-शांति लौट आएगी।

राजा ने विधिपूर्वक आषाढ़ी एकादशी का व्रत किया और उसके फलस्वरूप वर्षा हुई, फसलें लहलहा उठीं और प्रजा सुखी हो गई।

इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि आषाढ़ी एकादशी का व्रत न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि सामाजिक और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में भी सहायक है।


🔶 महाराष्ट्र में विशेष महत्व – पंढरपुर यात्रा

महाराष्ट्र में आषाढ़ी एकादशी को विठोबा (विठ्ठल भगवान) की पूजा का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। लाखों श्रद्धालु पैदल यात्रा कर पंढरपुर मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं।

  • यह यात्रा वारकरी संप्रदाय द्वारा की जाती है।

  • लोग भजन, कीर्तन करते हुए, ‘ज्ञानेश्वर माऊली तुकाराम’ के जयकारे लगाते हुए चलते हैं।

  • यह भारतीय भक्ति आंदोलन का एक जीवंत उदाहरण है।


🔶 वैज्ञानिक दृष्टिकोण

आषाढ़ी एकादशी का पालन न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी फायदेमंद है:

  1. 🌱 इस समय मानसून प्रारंभ होता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। उपवास करने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है।

  2. 🍃 शाकाहारी सात्विक भोजन और ब्रह्मचर्य पालन से मानसिक शांति और आत्मिक शुद्धता मिलती है।

  3. 🧘‍♂️ संयम और ध्यान से तनाव दूर होता है।


सर पर चोट

🔶 एकादशी से जुड़े नियम

✅ क्या करें:

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें

  • भगवान विष्णु का ध्यान करें

  • व्रत में सात्विक भोजन करें (यदि आवश्यक हो)

  • झूठ, क्रोध, निंदा से बचें

  • गरीबों को दान दें

❌ क्या न करें:

  • प्याज, लहसुन, मांस, शराब आदि का सेवन न करें

  • बाल कटवाना, दांत निकलवाना जैसे कार्य न करें

  • नींद अधिक न लें

  • तामसिक विचारों से दूर रहें


🔶 चातुर्मास का आरंभ

आषाढ़ी एकादशी के दिन से ही चातुर्मास की शुरुआत होती है जो अगले चार महीने तक चलती है — अर्थात् आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और आश्विन। यह समय साधु-संतों के लिए भ्रमण रोक कर एक स्थान पर रहने और साधना का होता है।

इस दौरान लोग:

  • विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं करते

  • उपवास, संयम और ध्यान करते हैं

  • धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं

  • आषाढ़ी एकादशी 2025

🔶 धार्मिक मान्यता

  • आषाढ़ी एकादशी को व्रत करने से सहस्त्र अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है।

  • इस दिन तुलसी पत्र से भगवान विष्णु को प्रसन्न करना अत्यंत फलदायक माना जाता है।

  • यह व्रत करने से पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

  • आषाढ़ी एकादशी 2025

🔶 निष्कर्ष

आषाढ़ी एकादशी केवल एक तिथि नहीं, बल्कि यह आत्मशुद्धि, संयम, भक्ति और प्रकृति के साथ सामंजस्य का पर्व है। यह हमें सिखाती है कि आत्म संयम, पवित्रता और सेवा ही मानव जीवन के मूल तत्व हैं। आषाढ़ी एकादशी 2025

2025 की आषाढ़ी एकादशी 8 जुलाई को आ रही है — आइए हम सब मिलकर इस दिन व्रत, ध्यान और दान के माध्यम से अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भरें।


🌿 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q1. क्या आषाढ़ी एकादशी का व्रत निर्जल रखना जरूरी है?
👉 नहीं, स्वास्थ्य अनुसार फलाहार या जल ले सकते हैं, लेकिन संकल्प पवित्र होना चाहिए।

Q2. क्या महिलाएं व्रत कर सकती हैं?
👉 हां, स्त्रियां भी यह व्रत कर सकती हैं, यह सभी के लिए लाभकारी है।

Q3. क्या एकादशी को सोना मना है?
👉 धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन जागरण करना श्रेष्ठ माना जाता है।

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